शारदा कृष्ण संस्कृत की प्रवक्ता रही हैं।अपने दमखम
पर उन्होंने संस्कृत भाषा में गोल्ड मैडल हासिल किया।धर्मशास्त्र में
पीएचडी की। 1999 में उन्होंने कालिदास के
प्रसिद्ध नाटक 'अभिज्ञान शाकुंतलम' का राजस्थानी भाषा में 'सकुन्तला री
औळख' शीर्षक से अनुवाद किया। 'धोरां पसरयो हेत' शीर्षक से 2004 में उनका
राजस्थानी कविता संकलन तथा 'संवाद संभव' शीर्षक से हिंदी कविता संकलन आया।
उन्होंने बीसवीं सदी के राजस्थानी महिला लेखन ग्रन्थ का सम्पादन भी किया
।अनुवाद के लिए उन्हें बावजी चतर सिंह सम्मान और काव्य-सृजन के लिए आधा
दर्जन सम्मानों के साथ ही शिक्षक सेवा के लिए भी राज्य स्तरीय सम्मान से
नवाज़ा जा चुका है।
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