tag:blogger.com,1999:blog-472129773325857779.post5470219480525992270..comments2015-06-11T07:09:30.977+05:30Comments on रेत में नहाया है मन: मालचंद तिवाड़ी की कविताएंUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-472129773325857779.post-88517163165685811322011-01-12T19:24:58.241+05:302011-01-12T19:24:58.241+05:30श्री मालचंद जी को पढना सदा ही संतुष्टि देता है. बह...श्री मालचंद जी को पढना सदा ही संतुष्टि देता है. बहुत ही कम पढ़ने को मिलती है आजकल ऐसी रचनाएँ जिनमे चिंतन, बोद्धिकता, घ्राणशक्ति, चमत्कारिकता, चित्रात्मकता, आदि अपनी तरुनाई में श्रृंगारित होते हैं. आपकी कविताओं की श्रृष्टि की बुनावट में भावों के पंचतत्व सजीव होकर अपने शिल्प की दस्तकारी से एक शाश्वत पिंड का निर्माण करते हैं. आपकी रचानों के बिम्ब मनमस्तिष्क में भित्तिचित्र से अंकित हो जाते हैं. स्वानुभूत भावों का ताना अपनी बिम्बात्मकता के घर्षण से एक उदीप्त आभा का संचरण करता है. कविताओं का आदि अपनी कोमल छुअन से पाठक मन को अपने साथ बहाकर उस पराकाष्ठा तक ले जाने की क्षमता रखता है जहां एक महाविस्फोट पुनः नयी और सुखद अनुभूति का सृजन करता है.<br />मेरे शब्दों में वो क्षमता नहीं कि मैं श्री मालचंद जी के सृजन को व्यक्त कर सकूँ. मैं तो अभी उस दिए जितना भी उजाला नहीं कर पाता जो इस प्रकाशवान सूरज को दिखा सकूँ. श्री मालचंद जी को और उनकी चिरस्मरणीय व अनुकरणीय रचनाओं को नमन !<br />यहाँ मैं आदरजोग श्री नीरज जी को नमन करना भी कैसे भूल सकता हूँ जिनकी वजह से इतनी ख़ूबसूरत रचनाएँ पढ़ने को मिल रही हैं. श्री नीरज जी के व्यक्तित्व, कृतित्व और समर्पण को ह्रदय से नमन !! मुझे इस ब्लॉग के बारे में जानकारी नहीं थे वर्ना मैं बहुत पहले यहाँ अपनी हाजिरी लगाकर स्वयं को सौभाग्यशाली समझता. फिर भी देर से ही सही, आने का सौभाग्य प्राप्त हुवा, और बहुत ही आनंदित हुवा.<br />आभार !Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.com